ॐ विक्रमी सम्वत क्यों ?
हमारे एक बहुत ही सज्जन और प्रेमी पडोसी मित्र हैं। सौभाग्यवश उनके दोनों पुत्र भी अपने माता-पिता कि तरह बहुत सज्जन एवं श्रेष्ठ नागरिक हैं।
आज प्रातः मैं अपने घर के बाहर बैठा अखबार पढ़ रहा था जब पडोसी मित्र ने आवाज़ लगाकर मुझे पुकारा और नव वर्ष विक्रमी संवत कि शुभकामनायें दीं।
साथ ही आगे बढ़कर उन्होंने मेरे पाँव छुए और आगामी समय के लिए अपने और अपने परिवार के लिए आशीर्वाद माँगा। मैंने उन्हें अपने गले से लगाया और दिल से जितना हो सकता था उतना आशीषों से नवाज़ा।
इस आनंदकारी प्रेममय मिलन के बाद मित्र ने कहा कि भाई साहब मैं 61 साल का हो गया और हर साल हम लोग संवत पर दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट हो जाते हैं ,पर मैं आज तक सिवाय इस बात के कि यह हमारा हिंदुओं का नया साल है , इस बारे में और कोई ठोस जानकारी नहीं रखता। आप मेहरबानी करके मुझे इस बारे में विस्तार से समझाइये।
मैंने जो अपनी बुद्धि के अनुसार उन्हें बताया वो सभी विद्वान् पाठकों के लिए यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ,ताकि जो भी कोई कमी रह गई हो उसे सुधारा जा सके।
मैंने उन्हें बताया ,:-
आज के समय में हमसभी भारतवासी हालांकि अंग्रेजी केलेण्डर के अनुसार ही जनवरीसे दिसंबर तक कि काल गणना वाला साल मनाते हैं लेकिन भारत देश में हम हिन्दू कॉल गणना सौर मण्डल और उसमें घूम रहे ग्रहों कि गति के अनुसार सदियों पूर्व से करते आये हैं।
हम सब जानते हैं कि सौर मंडल में 12 राशियां हैं। हर राशि कुछ नक्षत्रों के समूह को माना जाता है। इन नक्षत्रों के समूह के काल्पनिक आकार के आधार पर हर राशि को नाम भी दिया गया है।
ये वैज्ञानिक तथ्य है कि सौर मंडल की इन 12 राशियों का कुल विस्तार 360 डिग्री है। यानि प्रत्येक राशि का विस्तार 30 डिग्री है। वास्तविकता तो ये है कि सूर्य अपने स्थान पर स्थिर है और ये राशि मंडल और बाकी के ग्रह अपने-अपने मार्ग पर सूर्य के चारों ओर घुमते रहते हैं , लेकिन बोलने कि दृष्टि से अपनी सुविधा के लिए हम यह कहते हैं कि सूर्य इन राशियों में भ्रमण करता है।
प्रत्येक राशि में सूर्य का भ्रमण काल एक माह का होता है , इस प्रकार इन 12 राशियों में अपना भ्रमण पूरा करते-करते सूर्य को पूरे 12 माह लग जाते हैं , यही 12 माह हमारा एक वर्ष का कालखंड कहलाते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारा ये संवत सौरमंडल कि गति पर आधारित सम्पूर्ण वैज्ञानिक एवं प्रकृति के अनुकूल सही काल गणना पर आधारित केलेण्डर है जिसे हम पंचांग के नाम से जानते हैं।
हमारे एक बहुत ही सज्जन और प्रेमी पडोसी मित्र हैं। सौभाग्यवश उनके दोनों पुत्र भी अपने माता-पिता कि तरह बहुत सज्जन एवं श्रेष्ठ नागरिक हैं।
आज प्रातः मैं अपने घर के बाहर बैठा अखबार पढ़ रहा था जब पडोसी मित्र ने आवाज़ लगाकर मुझे पुकारा और नव वर्ष विक्रमी संवत कि शुभकामनायें दीं।
साथ ही आगे बढ़कर उन्होंने मेरे पाँव छुए और आगामी समय के लिए अपने और अपने परिवार के लिए आशीर्वाद माँगा। मैंने उन्हें अपने गले से लगाया और दिल से जितना हो सकता था उतना आशीषों से नवाज़ा।
इस आनंदकारी प्रेममय मिलन के बाद मित्र ने कहा कि भाई साहब मैं 61 साल का हो गया और हर साल हम लोग संवत पर दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट हो जाते हैं ,पर मैं आज तक सिवाय इस बात के कि यह हमारा हिंदुओं का नया साल है , इस बारे में और कोई ठोस जानकारी नहीं रखता। आप मेहरबानी करके मुझे इस बारे में विस्तार से समझाइये।
मैंने जो अपनी बुद्धि के अनुसार उन्हें बताया वो सभी विद्वान् पाठकों के लिए यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ,ताकि जो भी कोई कमी रह गई हो उसे सुधारा जा सके।
मैंने उन्हें बताया ,:-
आज के समय में हमसभी भारतवासी हालांकि अंग्रेजी केलेण्डर के अनुसार ही जनवरीसे दिसंबर तक कि काल गणना वाला साल मनाते हैं लेकिन भारत देश में हम हिन्दू कॉल गणना सौर मण्डल और उसमें घूम रहे ग्रहों कि गति के अनुसार सदियों पूर्व से करते आये हैं।
हम सब जानते हैं कि सौर मंडल में 12 राशियां हैं। हर राशि कुछ नक्षत्रों के समूह को माना जाता है। इन नक्षत्रों के समूह के काल्पनिक आकार के आधार पर हर राशि को नाम भी दिया गया है।
ये वैज्ञानिक तथ्य है कि सौर मंडल की इन 12 राशियों का कुल विस्तार 360 डिग्री है। यानि प्रत्येक राशि का विस्तार 30 डिग्री है। वास्तविकता तो ये है कि सूर्य अपने स्थान पर स्थिर है और ये राशि मंडल और बाकी के ग्रह अपने-अपने मार्ग पर सूर्य के चारों ओर घुमते रहते हैं , लेकिन बोलने कि दृष्टि से अपनी सुविधा के लिए हम यह कहते हैं कि सूर्य इन राशियों में भ्रमण करता है।
प्रत्येक राशि में सूर्य का भ्रमण काल एक माह का होता है , इस प्रकार इन 12 राशियों में अपना भ्रमण पूरा करते-करते सूर्य को पूरे 12 माह लग जाते हैं , यही 12 माह हमारा एक वर्ष का कालखंड कहलाते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारा ये संवत सौरमंडल कि गति पर आधारित सम्पूर्ण वैज्ञानिक एवं प्रकृति के अनुकूल सही काल गणना पर आधारित केलेण्डर है जिसे हम पंचांग के नाम से जानते हैं।