गर्व का विषय
घमण्ड करना और अपनी सांस्कृतिक विरासतों पर गर्व करना दो अलग-अलग प्रवृत्तियां हैं।
जहां घमण्ड कि प्रवृत्ति मनुष्य को पतन की ओर धकेलती है वहीं अपनी संस्कृति और अपनी सामाजिक /राष्ट्रीय धरोहरों पर गर्व करना मनुष्य कि उन्नति का कारण बन सकता है।
घमण्ड मनुष्य कि व्यकतिगत अभिव्यकति है , उसकी अहम् कि पूर्ती का द्योतक ,
लेकिन गर्व उसकी समाज से जुडी उसकी भावनाओं का द्योतक है।
हर वो अच्छा भाव जो सामाजिकता का प्रतीक है , हमारे मन में एक नव चेतना का संचार करता है ,और वो भाव हमारे अंदर हमेशा उत्साह जगाये रखता है।
और जीवन में उत्साह का बहुत बड़ा महत्त्व है।
इसलिए अपनी भारतीयता पर सदा गर्व करना लाभप्रद ही है।
शुभम अस्तु।
घमण्ड करना और अपनी सांस्कृतिक विरासतों पर गर्व करना दो अलग-अलग प्रवृत्तियां हैं।
जहां घमण्ड कि प्रवृत्ति मनुष्य को पतन की ओर धकेलती है वहीं अपनी संस्कृति और अपनी सामाजिक /राष्ट्रीय धरोहरों पर गर्व करना मनुष्य कि उन्नति का कारण बन सकता है।
घमण्ड मनुष्य कि व्यकतिगत अभिव्यकति है , उसकी अहम् कि पूर्ती का द्योतक ,
लेकिन गर्व उसकी समाज से जुडी उसकी भावनाओं का द्योतक है।
हर वो अच्छा भाव जो सामाजिकता का प्रतीक है , हमारे मन में एक नव चेतना का संचार करता है ,और वो भाव हमारे अंदर हमेशा उत्साह जगाये रखता है।
और जीवन में उत्साह का बहुत बड़ा महत्त्व है।
इसलिए अपनी भारतीयता पर सदा गर्व करना लाभप्रद ही है।
शुभम अस्तु।
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