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Wednesday, October 30, 2013

आवा -गमन 

आज एक जगह पढ़ा, लेखक महोदय कहना चाह रहे थे कि अंत तो सब का एक ही है यानि "मृत्यु ".

मैं सोच में पड़ गया कि कमोबेश सभी इस असलियत से वाकिफ हैं कि अंत तो मृत्यु ही है लेकिन दुनिया  के हज़ार तरह के चक्करों में ऐसे फंसे रहते हैं कि सारी  फिलॉस्फी एक तरफ रख कर तरह-तरह के फन्दों  में उलझे रहते हैं।
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य आदि शंकराचार्य ने कहा है :-

पुनरपि जन्मम , पुनरपि मरणम ,पुनरपि जननी उदरे शयनम्
भज गोविन्दम भज गोविन्दम ,भज गोविन्दम मूढ़मते।

कितना सुन्दर एवं सरल विश्लेषण किया है , जीवात्मा के आवा-गमन या जीवन चक्र का।
शंकराचार्य जी ने समझाया है कि जीवात्मा अपने कर्मों के अनुसार विभिन्न योनियों में घूमता हुआ अपने कर्मों के फल भोगता रहता है।
माता के गर्भ में पड़ना , संसार में जन्म लेना ,कर्मों के फेर में पड़ना और फिर मृत्यु कि गोद में सो जाना यही जीवन का क्रम है।

मनुष्य कर्मों के फेर में ऐसा उलझता है कि सब कुछ जानते बूझते भी सही मार्ग नहीं अपना पाता। इसीलिए मूढ़मति या मूर्ख कहलाता है।

कई बार प्रश्न उठता है कि सही मार्ग जीवन में कौनसा है ?

सब कहेंगे कि सही मार्ग तो एक ही है , यानि धर्म का मार्ग।

अब सवाल होगा कि कौनसा धर्म ?

तो ये जान लें कि धर्म सम्पूर्ण विश्व में एक ही है , हाँ पूजा पद्धतियां अनेकों हैं।

विडमबना  ये है कि सब लोग अपनी-अपनी पूजा पद्धति को ही धर्म मान बैठते हैं।


कोई भी पूजा पद्धति वाला सम्प्रदाय हो मूल सिद्धांत वही हैं जो इंसानियत को प्रकाशित करने में मदद करने वाले हैं :-

झूठ मत बोलो

पराये धन पर नज़र मत रखो

संयम का पालन करो

लालच से बचो

क्रोध सब बुराइयों का बाप है , आदि-आदि दस सिद्धांत हैं जो हर सम्प्रदाय के  द्वारा अपनाने को कहे जाते हैं।

लेकिन या तो कर्मों के बंधन में जकड़ा जीव इन सिद्धांतों को भुलाये रहता है या अपने घमंड के नशे में डूबा व्यकति अपने स्वार्थ में ऐसा डूबा रहता है कि उसे किसी सिद्धांत कि परवाह नहीं रहती।

यही आवा-गमन का कारण है।

जो व्यकति इंसानी सिद्धांतों का सम्मान करता है , वो धीरे-धीरे कर्म-बंधनों से छूटता हुआ अंत में मुक्त हो जाता है।

विषय बहुत बड़ा और गहरा है जिसे मैंने अपनी बुद्धि के अनुसार थोड़े में बताना चाहा है , जिसमें कमियां रह जाना एक मामूली बात है अतः कमियों को सिद्धांत की कमी ना मानकर ,मेरी कमी समझा जाये।

इति शुभम।

( आप सब इस लेख को पढ़ कर अपने मन के अनुसार जो विचार बनाएं , उन्हें केवल सोच कर ना रह जाएँ बल्कि उन्हें लिख कर व्यकत अवश्य करें ताकि एक अच्छी चर्चा आगे बढ़ सके।  धन्यवाद -उ ना द

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